हर तरफ़ सोंदर्य बिखरा प्रक्रति की गोद में
आदमी मगर लगा है प्रक्रति के शोध में
शोध करके प्रक्रति में करता है ये उलट फेर
रोज उलझनें सुलझाये फ़िर भी उलझनों का ढेर
प्रक्रति से प्रक्रति को जन्म हुआ आदमी का
पर ये कुराफाती हुआ रूप छोड़ा सादगी का
क्रिया-प्रतिक्रिया खोजी पर नहीं ये समझ पाया
विश्व उगली तले लिया क्यों नहीं फ़िर चैन आया
बम अटम का बनाकर विश्व में है मर्द बना
सोचता अब रखूं कहाँ ये तो है सिर दर्द बना
मशीनी दुनिया बनाकर ख़ुद मशीन बन गया है
अकेला रहकर वो जिए रिश्तों में घुन लग गया है
न्यूज चैनल बताते है विश्व मुट्ठी में लिया अब
पड़ोसी मर गया अपना पता चला तेरहवी जब
khaali बैठी पत्नी कुकिंग रेंज में बनाके खाना
बदन थुलथुला हुआ और बोर हो गई देती ताना
बदन को सिलिम बनाने हैल्थ क्लब में अब वो आती
समय तो कुछ बचा नहीं फालतू में फ़ीस जाती
समय और श्रम बचाने को सभी ये यंत्र बने
उबला खाओ जिम में जाओ डाक्टरों के मन्त्र बने
संतुलन प्रक्रति रखती हमेशा हर हाल में
खुश रहो और प्यार बांटो मत फंसो जंजाल में
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